फरवरी से इंश्योरेंस पॉलिसी के बदले नियमों को जानिए

फरवरी से इंश्योरेंस पॉलिसी के बदले नियमों को जानिए


अब और ज्यादा मिलने लगेगा मुनाफा ! ऐसा है फायदे का गणित


नई दिल्ली । इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI की ओर से जारी नए नियम 1 फरवरी 2020 से लागू हो गए हैं. नए नियमों के तहत मोर्टेलिटी चार्ज घटा दिए गए हैं. इससे यूलिप यानी यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIP) और ट्रडिशनल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी कराने वालों को ज्यादा मुनाफा होगा ! साथ ही इंश्योरेंस कंपनियों से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का रिवाइवल टाइम पीरियड बढ़ाने के लिए कहा गया है. अगर आसान शब्दों में कहें तो किसी वजह से ULIP इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम नहीं चुकाने पर कंपनियां 2 साल में पॉलिसी को बंद कर देती थी, लेकिन अब ग्राहकों को इसके लिए तीन साल का समय मिलेगा. वहीं, नॉन लिंक्ड इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स के लिए रिवाइवल पीरियड अब पांच साल कर दिया गया है. आपको बता दें कि नए नियम LIC समेत देश की सभी कंपनियों की पॉलिसी पर लागू होंगे !


1 फरवरी 2020 से बदलें नियम, अब इंश्योरेंस पॉलिसी पर मिलेगा ज्यादा मुनाफा


>> यूलिप में सम अश्योर्ड प्रीमियम पेमेंट को 10 गुना से घटाकर 7 गुना कर दिया गया है. इससे पहले 45 साल से ज्यादा उम्र के ULIP खरीदारों को सालाना प्रीमियम के 10 गुना से कम सम अश्योर्ड ऑफर किया जाता था.


>> सम अश्योर्ड कम होने से रिटर्न बेहतर होगा क्योंकि अब मोर्टेलिटी चार्ज कम कटेगा. हालांकि सालाना प्रीमियम के 10 गुना से कम सम अश्योर्ड होने पर टैक्स बेनिफिट नहीं मिल पाएंगे.


 

>> अब आप उन्हीं पॉलिसी पर टैक्स बेनिफिट ले पाएंगे, जिनमें सम अश्योर्ड सालाना प्रीमियम का 10 गुना या ज्यादा होगा.



थर्ड पार्टी ऐडमिनिस्ट्रेटर खुद चुन सकते हैं


>> नए नियमों के मुताबिक अगर अब आप तीन साल बाद पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो सर्वाइवल बेनिफिट काटकर प्रीमियम का 35% हिस्सा लौटाया जाएगा.


>> पॉलिसी के चौथे साल से सातवें साल के बीच सरेंडर वैल्यू बढ़कर 50% तक पहुंच जाएगी. पॉलिसी मैच्योरिटी से दो साल पहले सरेंडर किए जाने पर बीमा कंपनी को तब तक अदा किए गए प्रीमियम में से सर्वाइवल बेनिफिट काटकर 90% का भुगतान करना होगा.


क्या होते हैं मोर्टेलिटी चार्ज
यह चार्ज (जोखिम कवर करने का शुल्क) पॉलिसी प्रीमियम का मुख्य हिस्सा होता है.आसान शब्दों में कहें तो यह इंश्योरेंस कवर की लागत है. यूलिप के अंतर्गत दिए जाने वाले जीवन बीमा कवर के लिए मोर्टेलिटी शुल्‍क वसूला जाता है.


>> जीवन बीमा कंपनियां पॉलिसी यह शुल्‍क उस जोखिम के लिए वसूलती है जो पूरी पॉलिसी अवधि तक पॉलिसी धारक के जीवित न रहने का होता है. यह शुल्‍क मासिक तौर पर वसूला जाता है. यूलिप खरीदने का प्राथमिक उद्देश्‍य निवेश होता है. यूलिप के जरिए पर्याप्‍त जीवन बीमा कवर लेने के लिए भारी प्रीमियम का भुगतान करने की जरूरत होती है.


>> अगर आसान शब्दों में समझें तो मान लीजिए 30 साल का कोई व्‍यक्ति 10 साल तक सालाना 12,000 रुपये का प्रीमियम देता है तो उसे 1.2 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर मिलेगा. दूसरी तरफ, अगर वही व्‍यक्ति 11,500 रुपये का भुगतान टर्म इंश्‍योरेंस के लिए करता है तो उसे 10 साल के लिए 1.5 करोड़ रुपये का कवर मिल सकता है.


>> अंतर सिर्फ इतना हैं कि यूलिप के तहत 8 फीसदी के हिसाब से उसे कुछ रिटर्न मिलेगा जो तकरीबन 1.7 लाख रुपये का होगा. जबकि, टर्म इंश्‍योरेंस के मामले में उसे रिटर्न कुछ नहीं मिलेगा।



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